और वो धुए से बादल ,
मौज में उड़ते और रंग बदलते पल पल ,
वो रंग बदलते बादल ,
और वो पूरे चाँद की रात .
पूरे चाँद पर से गुजरते बादल ,
और उनकी हरकत .
वह रे उनकी फुरकत वह रे हिम्मत .
और वो पूरा चाँद ,
कुच्छ छिपता सा ,
शर्माता सा .
पगला सा , इठलाता सा .
शर्मीली बाला सा लग रहा है .
बादलो का घूंघट बना के ,
अपना मुक्ख छुपता सा .
वह रे यह बावरा सा .
और वो मध्मास्त लहराती सी हवा ,
और वो उनके झोके ,
कभी छूते मेरे चेहरे को ,
और फिर कभी चाँद के उस घूँघट को ,
रंग उदा देते है उस का ,
देखो उसे , काले से श्वेत हो गया वो घूँघट .
और रंग लायी इस हवा की ज़ेह्मत्त ,
मुख दिखाया चाँद ने हटा के अपना घूँघट .
वो चाँद , वो धुआं ,
और वो धुए से उड़ते बदल ,
वो हवा , उसकी शरारत ,
और हवा से उड़ता वो घूँघट ,
वो सुहाने पल ,
और इनकी रहमत ,
जगाते है बस एक हसरत ,
वैसे ही रुक जाए ,
इस वक़्त की बरक्कत .
ठहर जाये ये समा ,
ऐसे ही रह जाए ये जहाँ हमेशा .
good job Malay :)
ReplyDeletefinally someone commented ....... thank god /// and ofcourse ...thank you jasmeet
DeleteBahut sundar...Loved reading it!
ReplyDeletethank you
Deletereally nice!
ReplyDeleteSome old posts that I have now activated - http://words-are-me.blogspot.in
thanks for appreciating
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