Pages

Thursday, June 7, 2012

वो उडते से धुए


वो  उडते  से  धुए ,
और  वो   धुए   से  बादल ,
मौज  में  उड़ते  और  रंग  बदलते  पल  पल ,
वो  रंग  बदलते  बादल  ,
और  वो  पूरे  चाँद  की  रात .
पूरे  चाँद  पर  से  गुजरते  बादल ,
और  उनकी  हरकत .
वह  रे  उनकी  फुरकत  वह  रे  हिम्मत .

और  वो  पूरा  चाँद ,
कुच्छ  छिपता  सा  ,
शर्माता  सा .
पगला  सा , इठलाता  सा .
शर्मीली  बाला  सा  लग  रहा  है .
बादलो  का  घूंघट  बना  के ,
अपना  मुक्ख  छुपता  सा .
वह  रे  यह  बावरा  सा .

और  वो  मध्मास्त  लहराती  सी  हवा ,
और  वो  उनके  झोके ,
कभी  छूते  मेरे  चेहरे  को ,
और  फिर  कभी  चाँद  के  उस  घूँघट  को ,
रंग  उदा  देते  है  उस  का ,
देखो  उसे , काले  से  श्वेत  हो  गया  वो  घूँघट .
और  रंग  लायी  इस  हवा  की  ज़ेह्मत्त ,
मुख  दिखाया  चाँद  ने  हटा  के  अपना  घूँघट .

 वो  चाँद  , वो  धुआं ,
और  वो   धुए   से  उड़ते  बदल ,
वो  हवा , उसकी  शरारत  ,
और  हवा  से  उड़ता  वो  घूँघट ,
वो  सुहाने  पल ,
और  इनकी  रहमत ,
जगाते   है  बस  एक  हसरत ,
वैसे  ही  रुक जाए ,
इस  वक़्त  की  बरक्कत .
ठहर  जाये  ये  समा ,
ऐसे  ही  रह  जाए  ये  जहाँ  हमेशा .

6 comments:

  1. Replies
    1. finally someone commented ....... thank god /// and ofcourse ...thank you jasmeet

      Delete
  2. really nice!

    Some old posts that I have now activated - http://words-are-me.blogspot.in

    ReplyDelete

Copyrights reserved!

Protected by Copyscape Web Plagiarism Checker