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Thursday, June 21, 2012

मौत को ढूँढती ये जिंदगी , न जाने कब रुक जाएगी .


साँसों  के  पुल  पर  लडखडाती , 

हर  पल  को  बस  चलती  जाती  ,
मौत  को  ढूँढती  ये  जिंदगी  ,
न  जाने  कब  रुक  जाएगी .

जब  ये  गर्म  जिस्म ,
उन  ठंडी  बाहों  में  समां  जायेगा ,
इन  गर्म  साँसों  के  सिवा ,
जब  वो  ठंडी  स्वास  का  सागर  बहार  आएगा ,
न  गम  , न  ख़ुशी  ,
जब  मुझको  छु  पायेगी  ,
न  आसूं  , न  हसी  ,
जब  मुझको  रोक  पाएंगी ,
जब  निभाऊंगा  मैं  वादा  ,
जो  किया  था  मेरी  ज़िन्दगी  ने  मौत  से ,
जब  मिलेगा  मेरा  पालना ,
मेरी  ही  सेझ  से ,
तब  फिर  मेरी  ज़िन्दगी ,
मुझे  देख  के  मुस्कुराएगी ,
मौत  को   ढूँढती  ये  ज़िन्दगी  ,
जाने  कब  रुक  जाएगी .

2 comments:

  1. @malay : bht hi khatarnak likhhe ho. the way u write ek din tum jarur kuch naam kroge:)

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    1. dangerous comment yaar .... ha ha .. by the way it always feels good to be appreciated by you . thanks .........

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