आंसू बहता है ,ये सभी जानते है,
जाता कहाँ है , क्या सोचा किसी ने?
छुपा है आँखों में,देखते है सभी,
कहता है क्या ये, क्या सोचा किसी ने?
हसता किसी को,रुलाता किसी को,
पर समझाता है क्या, क्या सोचा किसी ने?
कर देता है बयान , ख़ुशी या गम मन के,
पर छुपता है क्या, क्या सोचा किसी ने?
करा देता है चाहे, किसी से कुछ भी,
पर चाहता है क्या, क्या सोचा किसी ने ?
बहता है पानी, बहता है आसूं ,
फर्क है क्या इनमे,क्या सोचा किसी ने?
निकाल देता है गम ये, जो दिल में छुपा है ,
है अमृत ये कैसा , क्या सोचा किसी ने?
कर देता है हल्का पल भर में , इस भारी से दिल को,
क्या चीज़ है ये आसूं , क्या सोचा किसी ने?
mere jazbaat hai ye ansu,
ReplyDeletemeri khani hai ye,
kitabo mein likhi jaye
wo jubaani hai mere ansu..
wah wah .....
Deleteक्या चीज़ है ये आसूं , क्या सोचा किसी ने?
ReplyDeleteपुरानी कहावत है
'रहिमन अँसुआ नयन ढरि जिय दुःख प्रकट करेय
जाहि निकारे गेह ते.कस न भेद कह देय'
दिल में दुःख हो और आँसू को नयन के अंदर ही रखा जाए,
तो दुःख 'भेद' ही बना रहता है.पर यदि आँसू को जैसे ही नयन
(घर) से बाहर निकाला जाए तो बिना कहे ही वह दुःख का भेद
सबके सामने खोल के रख देता है.
'मिलन'फिल्म का एक गाना तो आँसू का यूँ बखान करता है
'हजारों तरह के ये होते हैं आँसू
अगर दिल में गम हो तो रोते हैं आँसू
खुशी के समय भी
आँखें भिगोते हैं आँसू'
आपकी सुन्दर प्रस्तुति ने आँसू के बारे में सोचवाया
इसके लिए आभार आपका.
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.
thank yo sir ... and that is really lovely comment i got from your ...
Deleteये आंसू मेरे दिल की जुबां हैं......
ReplyDeleteबहुत प्यारी सी,कोमल सी कविता है...
बधाई जसमीत.
अनु
सुंदर कविता जसमीत जी
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