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Monday, June 15, 2015

यु .पी. कि छुटकी लड़की..........


एक छोटे से शहर की छोटी सी लड़की,
ख्वाब जिसके आसमां छूते,
रंग बिरंगे सपने बिखेरते,
ना जाने कब बड़ी हो गयी...
अंग्रे़जी में गिट पीट करने लगी,
पानी मे जहाज बनाने वाली,
कागज के विमान उड़ानें वाली ,
कब देस-विदेस घूमने लगी...
खाती थी जो बस आलू भात,
अब भाता उसको पिज़्ज़ा बर्गर,
चुहिया जितना खाती अब,
खाती थी जो प्लेट भर-भर...
वो टून-टून जैसी दिखने वाली,
जो धम धम उधम मचाति  थी,
आज गाँव  सारा दंग रह गया,
देख के उसकी पतली कमर,
सांवरा सुन्हेरा सा रूप,
देखने में बिल्कुल जीरो फिग....
ना जाने कब बड़ी हो गयी,
वो चंचल नैनो वाली,
नाचती गाती, तितली
जैसे रंग बिलखाती...
हो गयी कब सयानी..
जो करती थी अपनी मनमानी....
वो यु .पी. की छुटकी लड़की....




बेटियाँ होती हैं परायी..........

सबने पूछा ससुराल में,
बेटी दहेज मे क्या लाई..
ना पूछा किसी ने प्यार से ,
वो बेटी क्या क्या छोड़ आई..
होती है जब पैदा बेटी,
कहते हैं उसको लछमी,
भर देती हैं वो घर खुशीयों से,
फिर कह देते है,
बेटियाँ होती हैं परायी,
ना पूछा फिर भी किसी ने प्यार से ,
बेटी, क्या क्या छोड़ आई!!!

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