ये कविता हमारे घूसखोर नेता और सरकारी अफसरों के लिए लिखी गयी है |
मिले तो हर हद की हद मांग ले ,
मिले तो सरहदों से सरहद मांग ले,
एक जिद्दी की जिद्द मांग ले,
खाली इंसान की फुरकत मांग ले|
एक माँ का लाल मांग ले,
इन्सान की उसकी खाल मांग ले,
शरीफ से उसकी शान मांग ले ,
एक नारी से उसका मान मांग ले|
मरते की जान मांग ले,
एक अघोरी से उसकी भांग मांग ले,
जलते की चिता की आच मांग ले,
एक विवाहिता की मांग मांग ले|
चलते की रफ़्तार मांग ले,
लड़ते की तलवार मांग ले,
गाते की हर ताल मांग ले,
उलझे की जलजाल मांग ले|
बढते की बढौती मांग ले,
बुजुर्ग की बुढौती मांग ले,
सफ़ेदपोश की सच्चाई मांग ले,
शरीफ की हर पाई मांग ले|
एक सैनिक की गोली मांग ले,
एक व्यापारी से उसकी बोली मांग ले,
एक बच्चे से उसका बच्पन्न मांग ले,
मिले तो इन्सान का हर पल मांग ले|
मांगने को मिले तो सपने मांग ले,
एक अकेले के हर अपने मांग ले,
रहने को मांगे तो एक कमरा मांगे,
मिले तो किसी की रहगुजर रहना मांग ले|
जीवन से जिंदगी मांग ले,
फ़कीर से उसकी बंदगी मांग ले,
तंग इंसान की फुर्सत मांग ले,
खाली इंसान की फुरकत मांग ले|
एक साधू से उसकी रूहाई मांग ले,
एक सागर से उसकी गहराई मांग ले,
संकट से संकट की भरपाई मांग ले,
उस खुदा से उसकी खुदाई मांग ले|
जीने न दे किसी को ,
इंसान की हर सांस मांग ले|
aren't you a little too harsh on the ministers and the government officials haha...anyways very well written..!!!
ReplyDeletewhen they are never soft on us ... why should we ... am i correct.??
Delete@Malay : i guess i hv chosen the right person to make another author of my blog...u rock again:)
ReplyDeletethanks dear .......... i am waiting for your poem here ... coz i have to publish another one too.... he he .
Deletearre waa..
ReplyDeletethanks
Deletewow - really nice!
ReplyDeletethanks for liking ..
Delete