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Monday, June 11, 2012

जीने न दे किसी को , इंसान की हर सांस मांग ले|

ये कविता हमारे घूसखोर नेता और सरकारी अफसरों के लिए लिखी गयी है |

मिले तो हर हद की हद मांग ले ,
मिले तो सरहदों से सरहद मांग ले,
एक जिद्दी की जिद्द मांग ले,
खाली इंसान की फुरकत मांग ले|

एक माँ का लाल मांग ले,
इन्सान की उसकी खाल मांग ले,
शरीफ से उसकी शान मांग ले ,
एक नारी से उसका मान मांग ले|

मरते की जान मांग ले,
एक अघोरी से उसकी भांग मांग ले,
जलते की चिता की आच मांग ले,
एक विवाहिता की मांग मांग ले|

चलते की रफ़्तार मांग ले,
लड़ते की तलवार मांग ले,
गाते की हर ताल मांग ले,
उलझे की जलजाल मांग ले|

बढते की बढौती मांग ले,
बुजुर्ग की बुढौती मांग ले,
सफ़ेदपोश की सच्चाई मांग ले,
शरीफ की हर पाई मांग ले|

एक सैनिक की गोली मांग ले,
एक व्यापारी से उसकी बोली मांग ले,
एक बच्चे से उसका बच्पन्न मांग ले,
मिले तो इन्सान का हर पल  मांग ले|

मांगने को मिले तो सपने मांग ले,
एक अकेले के हर अपने मांग ले,
रहने को मांगे तो एक कमरा मांगे,
मिले तो किसी की रहगुजर रहना मांग ले|

जीवन से जिंदगी मांग ले,
फ़कीर से उसकी बंदगी मांग ले,
तंग इंसान की फुर्सत मांग ले,
खाली इंसान की फुरकत मांग ले|

एक साधू से उसकी रूहाई मांग ले,
एक सागर से उसकी गहराई मांग ले,
संकट से संकट की भरपाई मांग ले,
उस खुदा से उसकी खुदाई मांग ले|

जीने न दे किसी को ,
इंसान की हर सांस मांग ले| 

8 comments:

  1. aren't you a little too harsh on the ministers and the government officials haha...anyways very well written..!!!

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    1. when they are never soft on us ... why should we ... am i correct.??

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  2. @Malay : i guess i hv chosen the right person to make another author of my blog...u rock again:)

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    1. thanks dear .......... i am waiting for your poem here ... coz i have to publish another one too.... he he .

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