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Monday, September 12, 2016

अब तुम ही बताओ ये भी क्या कोई बात हुई

अब  तुम  ही  बताओ  ये  भी  क्या  कोई  बात  हुई ,
अब  मेरे  सवालो  का  जवाब  दे  सका  है  क्या  कोई ,
समुन्दर  नीला  ही  है ,
तो  सफ़ेद  लहरें  क्यों  हुई ,
और  लहरें   सफ़ेद  है  तो ,
अलग  रंग  की  क्यों  रेत  हुई ,
अब  बताओ  ये  भी  कोई  बात  हुई ,
ऐसी  भी  क्या  मुठभेड़  हुई|

अब  तुम  ही  बताओ  ये  भी  क्या  कोई  बात  हुई ,
अब  मेरे  सवालो  का  जवाब  दे  सका  है  क्या  कोई ,
बहता  पानी  है  अगर ,
तो  सपने  क्यों  रुके  है ,
खुली  आँखें  है  अगर ,
तो  आसूं  पलकों  के  पीछे  क्यों  छुपे  है ,
रुके  है , छुपे  है ,
खड़े  है  इंसान  सब  सीधे ,
पर  हौसले  सबके  क्यों  झुके  है ,
अब  क्यों  सपनो  और  हौसलो  की  न  कभी  कोई  सौगात  हुई ,
तुम  ही  बताओ  मेरे  यारो ,
ये  भी  क्या  कोई  बात  हुई |

अब  तुम  ही  बताओ  ये  भी  क्या  कोई  बात  हुई ,
अब  मेरे  सवालो  का  जवाब  दे  सका  है  क्या  कोई ,
सड़क  यु  भीछि  क्यों  है ,
और  राही  हमेशा  क्यों  चलता  रहता  है ,
क्यों  मंज़िल  कभी  मिलती  नहीं ,
क्यों  सड़क  कभी  रास्ता  बनती  नहीं ,
पर  सवाल  ये  नहीं  है  मेरे  भाइयो ,
सवाल  तो  है  क्यों  राही  सड़क  को  मंज़िल  बनाता  नहीं ,
क्यों  वो  रह  को  मंज़िल  समझ  सजता  नहीं ,
क्यों  आखिर  उसको  इस  सड़क  से  यु  बेरुखी  हुई ,
अब  तुम  ही  बताओ  ये  भी  क्या  कोई  बात  हुई ,
अब  मेरे  सवालो  का  जवाब  दे  सका  है  क्या  कोई |

मलय 

Thursday, July 16, 2015

बेवफ़ाई........

कितनी मुद्दत हुई जो तेरी याद ना आई,
वो जमाने ओर थे जब बेनतह चाहा था तुझे....
वकत की रफतार नही मेरे दर्द का फलसफा है,
जिसने समय रहते बदल डाला मुझे....

Monday, June 15, 2015

यु .पी. कि छुटकी लड़की..........


एक छोटे से शहर की छोटी सी लड़की,
ख्वाब जिसके आसमां छूते,
रंग बिरंगे सपने बिखेरते,
ना जाने कब बड़ी हो गयी...
अंग्रे़जी में गिट पीट करने लगी,
पानी मे जहाज बनाने वाली,
कागज के विमान उड़ानें वाली ,
कब देस-विदेस घूमने लगी...
खाती थी जो बस आलू भात,
अब भाता उसको पिज़्ज़ा बर्गर,
चुहिया जितना खाती अब,
खाती थी जो प्लेट भर-भर...
वो टून-टून जैसी दिखने वाली,
जो धम धम उधम मचाति  थी,
आज गाँव  सारा दंग रह गया,
देख के उसकी पतली कमर,
सांवरा सुन्हेरा सा रूप,
देखने में बिल्कुल जीरो फिग....
ना जाने कब बड़ी हो गयी,
वो चंचल नैनो वाली,
नाचती गाती, तितली
जैसे रंग बिलखाती...
हो गयी कब सयानी..
जो करती थी अपनी मनमानी....
वो यु .पी. की छुटकी लड़की....




बेटियाँ होती हैं परायी..........

सबने पूछा ससुराल में,
बेटी दहेज मे क्या लाई..
ना पूछा किसी ने प्यार से ,
वो बेटी क्या क्या छोड़ आई..
होती है जब पैदा बेटी,
कहते हैं उसको लछमी,
भर देती हैं वो घर खुशीयों से,
फिर कह देते है,
बेटियाँ होती हैं परायी,
ना पूछा फिर भी किसी ने प्यार से ,
बेटी, क्या क्या छोड़ आई!!!

Saturday, May 16, 2015

परीक्षा जिंदगी की ..............

जब से परीक्षा वाली
जिंदगी पूरी हुई है,
तब से जिंदगी की परीक्षा
शुरु हो गई है..
किताब लेकर...
रोज मैं ढूँढती हूँ जवाब.....
जिंदगी है क़ि रोज...
'सिलेबस' के बाहर से ही पूछती है..

Monday, May 11, 2015

एक छोटी कविता‬

जिंदगी में हर वो शक्स परेशान है,
जिसे ख़ुद पर भरोसा नहीं,
और रखता वो उमीदों कि दुकान है....
ऐ, ज़िंदगी के मुसाफिर!
रखले ख़ुद पे विश्वास जरा,
खुश रहा तो जी लिया, नहीं तो,
कोई नहीं पूछेगा,
अगर तू कल का मरता आज मरा !!!!
~ जस्मीत 

Thursday, April 30, 2015

ख्वाहिश....

ख्वाबों की भी ख्वाहिश थी,
कि कोई उनका मुक्कदर पढ़े!
कब तक चलना है रातो को,
अंधेरो में उजाले लिए!
कब तक लड़ना है मौजों को,
कश्ती मे समुन्दर लिए!!!

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