जब से परीक्षा वाली
जिंदगी पूरी हुई है,
तब से जिंदगी की परीक्षा
शुरु हो गई है..
किताब लेकर...
रोज मैं ढूँढती हूँ जवाब.....
जिंदगी है क़ि रोज...
'सिलेबस' के बाहर से ही पूछती है..
जिंदगी पूरी हुई है,
तब से जिंदगी की परीक्षा
शुरु हो गई है..
किताब लेकर...
रोज मैं ढूँढती हूँ जवाब.....
जिंदगी है क़ि रोज...
'सिलेबस' के बाहर से ही पूछती है..
जिंदगी है क़ि रोज...
ReplyDelete'सिलेबस' के बाहर से ही पूछती है.
khoob, bahut khoob