मैं ग़ालिब नही, गुलजार नही,
हर हृदय की मैं वक्ता हूँ...
मैं खुशी नही, कोइ पीड़ा नही,
भावों से भरी सेहजता हूँ...
मैं दिन नही, रात नही,
हर पहर में बसती माया हूँ...
मैं हिन्दु नही, मुस्लिम नही,
सरे धर्मों की मैं छाया हूँ...
मैं भाव नही, रोष नही,
सहमी नदि का सैलाब हूँ...
मैं नींद नही, जाग नही,
सोती जागती आँखों का ख्वाब हूँ...
मैं ग़ालिब नही, गुलजार नही,
हर हृदय की मैं वक्ता हूँ...
मैं गीत नही, कोई ग़ज़ल नही
मैं तो बस एक कविता हूँ!!!
हर हृदय की मैं वक्ता हूँ...
मैं खुशी नही, कोइ पीड़ा नही,
भावों से भरी सेहजता हूँ...
मैं दिन नही, रात नही,
हर पहर में बसती माया हूँ...
मैं हिन्दु नही, मुस्लिम नही,
सरे धर्मों की मैं छाया हूँ...
मैं भाव नही, रोष नही,
सहमी नदि का सैलाब हूँ...
मैं नींद नही, जाग नही,
सोती जागती आँखों का ख्वाब हूँ...
मैं ग़ालिब नही, गुलजार नही,
हर हृदय की मैं वक्ता हूँ...
मैं गीत नही, कोई ग़ज़ल नही
मैं तो बस एक कविता हूँ!!!
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