मैंने कल एक सपना देखा,
दूर खड़ा कोई अपना देखा ...........
भीनी भीनी खुशबू लेकर आई जब ठंडी हवा,
आशाओ की लहरों को मैंने सर सर कर उमड़ते देखा ..........
हाँ मैंने एक ऐसा सपना देखा , दूर खड़ा कोई अपना देखा ...........
बरसातों की बूंदे जैसे टप टप करती गिरती हैं ,
उन बूदों से आशाओं का सागर मैंने भरता देखा ............
हाँ एक ऐसा सपना देखा , दूर खड़ा कोई अपना देखा .............
देखी उस सपने से उमंगें , पंछी बन फर्फराते कैसे ,
पंख खोल कर भर चित करके फड फड उनको उड़ते देखा ..........
हाँ एक ऐसा सपना देखा , दूर खड़ा कोई अपना देखा ................
मन मेरा भी करता पंछी बन मैं आसमान में उडती फिरु,
आशाओं की उड़ान भर हाँ मैंने एक सपना देखा ...........
दूर खड़ा कोई अपना देखा ..................
// जसमीत
wah ... maine bhi sapna dekha tha .. but i don't remember it ..
ReplyDeletelovely poem dear
nice..!!
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