कितनी मुद्दत हुई जो तेरी याद ना आई,
वो जमाने ओर थे जब बेनतह चाहा था तुझे....
वकत की रफतार नही मेरे दर्द का फलसफा है,
जिसने समय रहते बदल डाला मुझे....
वो जमाने ओर थे जब बेनतह चाहा था तुझे....
वकत की रफतार नही मेरे दर्द का फलसफा है,
जिसने समय रहते बदल डाला मुझे....