Pages

Monday, April 30, 2012

अभिव्यक्ति........


व्यक्ति बिना अभिव्यक्ति,
जैसे मौत बिना मुक्ति!

जन्म लेकर शिशु करता है,
मां की ममता की त्रिप्ति,
रुदन से करता है वो,
अपने भावो की अभिव्यक्ति.........

रूप होते है अनेक जब होती है,
मानव की उत्पति,
ममता की ठंडी छाव में,
होती है मासूमियत की अभिव्यक्ति........

मां का अंचल छोड़ ,
करता है क्रीडा में मस्ती,
करता है अपने आँगन में,
भिन प्रकार की अभिव्यक्ति........

क्रीडा के मैदान में,
होती है उसकी वृद्धि,
निकलता है वो दिखाने,
मानवता की अभिव्यक्ति.........

मानवता की होड़ में,
पाता है योवन की हस्ती,
रोध, क्रोध के भावो में,
करता है अपने हृदय की अभिव्यक्ति...........

लगती है मीठी हर सुबह,
और सुनहरी शाम के भावों में,
हो जाता है गुम,
करता है अपने प्यार की अभिव्यक्ति............

उम्र है निकलती योवन की,
आँखों का नूर ढलकता है,
इश्वर की भक्ति में,
समर्पित करता है अपनी अभिव्यक्ति..........

             यही है जीवन , यही सोच है..............
व्यक्ति बिना अभिव्यक्ति,
जैसे मौत बिना मुक्ति!

जसमीत 

7 comments:

  1. never knew , you can write so good in Hindi also ... in mathematical term... multidimensional.. he he ...... classy....

    ReplyDelete
    Replies
    1. हिंदी हमारी पहचान है, हमारी शान है,
      सरल है , भावी है.....................
      मेरी एक छोटी से कोशिश है ये,
      भाषा का सम्मान है.......
      कवितायें जश्न में अपनी अभिव्यक्तियाँ दे,
      ये हमारा मान है..........

      ye bhi mast likha hai ...

      Delete
    2. thanks a lot ...you r the first who visited on my blog...

      Delete
    3. its my pleasure ma'am ... :)

      Delete
  2. A beautiful poem Jasmeet:) thank you:)

    ReplyDelete
    Replies
    1. Thank you so much Amitji. happy to see your praise for my poem.

      Delete
  3. शानदार एवं जानदार अभिव्यक्ति

    ReplyDelete

Copyrights reserved!

Protected by Copyscape Web Plagiarism Checker